दूसरों का कार्य न करें | Don’t Do Others Work | Patriji Speaks

हमें लगता है, हम शरीर हैं। उच्च स्तर से हमें ज्ञान होता है कि हम आत्मा हैं, हम सभी कुछ हैं। यह पूरे परिवर्तन का क्रम है। जब आप इस स्थिति में पहुँच जाते हैं तो आपकी व्यक्तिगत प्रगति पूर्ण होती है और फिर आप दूसरों की सहायता करते हैं। आप दूसरों की मदद कैसे करते हैं? उनका उपचार करके? नहीं, वरन् उनसे ज्ञान साझा करके। जब आप किसी का उपचार करते हैं तो इसका तात्पर्य हुआ कि आप उनका कार्य कर रहे हैं। जब आप उनका कार्य करते हैं तो वे आप पर निर्भर हो जाते हैं। आपको उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। स्वयं भी Master बनना है और उन्हें भी बनाना है। आपने ध्यान के माध्यम से स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया और दूसरों को भी। आपको ध्यान सिखाना है ताकि वो आप पर या किसी और पर आश्रित न रहें। किसी को भी किसी का कार्य नहीं करना चाहिए, इसके बजाय उनको ज्ञान देना चाहिए। हर आत्मा को अपना उद्धार स्वयं करना है। सभी को अपने कर्मों को स्वयं ही काटना है। बहुत ही असामान्य और विलक्षण स्थिति में किसी की थोड़ी-बहुत सहायता की जा सकती है, जो एक अपवाद के रूप में सही है, पर नियम के रूप में नहीं। पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी मूवमेंट में हम किसी का उपचार नहीं करते। हम अपने उपचार को भी प्राथमिकता नहीं देते। प्रकृति स्वतः ही हीलिंग करती है। अगर मुझे कैंसर हुआ है तो यह मुझे होना ही था। उसके पीछे कोई कारण है। अगर मुझे सिरदर्द है तो यह अवश्यंभावी था। इसके पीछे कारण है। अगर अभी मेरी मृत्यु होनी है तो मुझे मरना ही है, इस प्रस्थान के पीछे भी कारण है।