Science of Anapanasati Meditation | Answer in Hindi

आनापानसति (Anapanasati) ध्यान के पीछे विज्ञान है, आना अर्थात आने वाली श्वास, पाना अर्थात जाने वाली श्वास, सति अर्थात दोनों का एक हो जाना। आनापानसति, ध्यान की अत्यंत सरल तकनीक है, जिसमें केवल हमें अपनी श्वासों पर ध्यान देना होता है। ध्यान शरीर से नहीं मन से किया जाता है।

हज़ारों वर्ष पहले गौतम बुद्घा द्वारा यह विधि सिखाई गई थी, इसमें हम ध्यानावस्था में तो होते हैं लेकिन हम अपने आसपस की गतिविधियों के प्रति जागरूक भी रहते हैं। मनुष्य के लिए ज़रूरी है कि वह अपने विचारों(Thoughts) को नियंत्रित करना सीखे और स्वयं को पहचानें। मनुष्य के हर प्रश्न और समस्या का समाधान उसके भीतर ही निहित है और ध्यान के ज़रिए वह अपनी हर परेशानियों व चिंताओं के प्रति जागरूक हो सकते हैं। ध्यान समस्याओं के बाहर निकलने की राह दिखाता है।

आनापानसति ध्यान करने के लिए साधक को किसी खास स्थान जैसे कि मंदिर, पार्क, आश्रम जैसे स्थानों पर जाने कि ज़रूरत नहीं होती है और न ही किसी विशेष प्रकार के वस्त्र पहनने की आवश्यकता होती है। वह किसी भी तरह के वस्त्र पहन कर, किसी भी स्थान पर ध्यान साधना कर सकते हैं। आनापानसति ध्यान की सबसे खास बात यही है कि यह अत्यंत सरल है और इसमें किसी प्रकार के तंत्र-मंत्र नहीं है।

ध्यान में हमें कई तरह के विचार आते हैं लेकिन विचारों को नियंत्रित करना ही हम ध्यान के ज़रिए सीखते हैं। जब भी कोई विचार आए तो अपनी सहज सांसों को महसूस करें।

– P.V. Rama Raju पी.वी राम राजू (सीनियर पिरामिड मास्टर)

आनापानसति ध्यान अगर पिरामिड (Pyramid) के भीतर बैठकर या फिर अपने आसपास पिरामिड रख कर किया जाए तो उससे तीन गुना अधिक ऊर्जा बढ़ती है।

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